नई दिल्ली । विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने चालू महीने के पहले सप्ताह में स्थानीय शेयर बाजारों से 7,300 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। इससे पहले जनवरी में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से 78,027 करोड़ रुपये की निकासी की थी। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर, 2024 में एफपीआई ने भारतीय बाजारों में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि आगे चलकर बाजार की धारणा वैश्विक वृहद आर्थिक घटनाक्रमों, घरेलू नीतिगत उपायों और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से तय होगी। आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने सात फरवरी तक भारतीय शेयरों से 7,342 करोड़ रुपये निकाले हैं। बाजार के जानकारों ने कहा ‎कि एफपीआई की निकासी का एक प्रमुख कारण वैश्विक व्यापार तनाव था, क्योंकि अमेरिका ने कनाडा, मेक्सिको और चीन जैसे देशों पर शुल्क लगाया है, जिससे व्यापार युद्ध की संभावना बढ़ी है। उन्होंने कहा कि इस अनिश्चितता की वजह से वैश्विक निवेशकों ने जोखिम न उठाने का विकल्प चुना है। इसके चलते वे भारत जैसे उभरते बाजारों से निकासी कर रहे हैं। भारतीय रुपया भी कमजोर होकर पहली बार 87 प्रति डॉलर से नीचे आ गया है। कमजोर रुपये से विदेशी निवेशकों का प्रतिफल घटता है और उनके लिए भारतीय संपत्तियां कम आकर्षक रह जाती हैं। समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ऋण या बॉन्ड बाजार में शुद्ध लिवाल रहे हैं। इस दौरान उन्होंने बॉन्ड में साधारण सीमा के तहत 1,215 करोड़ रुपये और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से 277 करोड़ रुपये का निवेश किया है। उल्लेखनीय है कि एफपीआई ने 2024 में भारतीय शेयरों में सिर्फ 427 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। इससे पहले 2023 में उन्होंने भारतीय बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध निवेश किया था। इसकी तुलना में, 2022 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में आक्रामक वृद्धि के बीच एफपीआई ने 1.21 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी।