प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में मृत्यु एक अटल सत्य है. इन संसार में आये प्रत्येक व्यक्ति को एक दिन इस शरीर का त्याग करके ईश्वर की शरण में जाना होता है. जीवन में उसके द्वारा किये गये कर्मों के आधार पर उसकी गति निश्चित है. यमदूत उसे स्वर्ग या नर्क में भेजने से पहले उसके द्वारा किये गये कर्मों को दिखाते हैं. उसके पश्चात् उसको नर्क या स्वर्ग में भेजा जाता है. इन कर्मों के आधार पर ही गरुण पुराण में लिखा गया है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद में उसकी आत्मा का क्या होता है.

शरीर त्यागने के बाद कहां जाती है आत्मा : गरूड़ पुराण जो मरने के पश्चात आत्मा के साथ होने वाले व्यवहार की व्याख्या करता है उसके अनुसार जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे दो यमदूत लेने आते हैं. मानव अपने जीवन में जो कर्म करता है यमदूत उसे उसके अनुसार अपने साथ ले जाते हैं. अगर मरने वाला सज्जन है, पुण्यात्मा है तो उसके प्राण निकलने में कोई पीड़ा नहीं होती है लेकिन अगर वो दुराचारी या पापी हो तो उसे पीड़ा सहनी पड़ती है. गरूड़ पुराण में यह उल्लेख भी मिलता है कि मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत केवल 24 घंटों के लिए ही ले जाते हैं और इन 24 घंटों के दौरान आत्मा दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और कितने पुण्य किए हैं. इसके बाद आत्मा को फिर उसी घर में छोड़ दिया जाता है जहां उसने शरीर का त्याग किया था. इसके बाद 13 दिन के उत्तर कार्यों तक वह वहीं रहता है. 13 दिन बाद वह फिर यमलोक की यात्रा करता है.

आत्मा को मिलते हैं तीन मार्ग : पुराणों के अनुसार जब भी कोई मनुष्य मरता है और आत्मा शरीर को त्याग कर यात्रा प्रारंभ करती है तो इस दौरान उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं. उस आत्मा को किस मार्ग पर चलाया जाएगा यह केवल उसके कर्मों पर निर्भर करता है. ये तीन मार्ग हैं अर्चि मार्ग, धूम मार्ग और उत्पत्ति-विनाश मार्ग. अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए होता है, वहीं धूममार्ग पितृलोक की यात्रा पर ले जाता है और उत्पत्ति-विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए है..