महाशिवरात्रि पर 11 घंटे भद्रा का साया... कब और कैसी होगी भगवान शिव की पूजा?
सनातन धर्म में फाल्गुन माह का विशेष महत्व है. इस महीने भगवान शंकर की पूजा आराधना करने का विधान है. धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन माह में भगवान शिव की उपासना करने से भाग्य में वृद्धि और जीवन में सुख समृद्धि आती है. वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था. ज्योतिष गणना के अनुसार इस साल महाशिवरात्रि पर भद्रा का साया भी रहेगा. भद्रा के दौरान पूजा, मुंडन संस्कार और गृह प्रवेश समेत शुभ अथवा मांगलिक कार्यों से परहेज करना चाहिए. ऐसी स्थिति में चलिए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि महाशिवरात्रि पर भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा का क्या शुभ मुहूर्त है और कब भद्रा लग रहा है.
दरअसल, अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि वैदिक पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11. 08 बजे से होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 27 फरवरी को सुबह 08. 54 पर होगा. ऐसे में 26 फरवरी को देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं. वहीं, इस बार महाशिवरात्रि पर 11 घंटे का भद्रा का साया रहेगा. गौरतलब है कि भद्रा के दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता.
पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि पर भद्रा का साया 26 फरवरी को सुबह 11. 08 बजे से लेकर रात 10. 05 बजे तक रहेगा. महाशिवरात्रि के दिन चतुर्दशी तिथि आरंभ होने के साथ ही भद्रा का साया भी शुरू हो जाएगा. यानी महाशिवरात्रि पर करीब 11 घंटे तक भद्रा का साया रहेगा. शास्त्रों के अनुसार भद्रा के दौरान मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. महाशिवरात्रि के दिन भद्रा का वास पाताल लोक में होगा. ऐसे में महाशिवरात्रि के दिन किसी भी समय महादेव की पूजा की जा सकती है लेकिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:19 से लेकर रात्रि 9:26 तक रहेगा.