बिहार की राजनीति में इस समय सबसे बड़ी खबर है की लालू प्रसाद यादव की इफ्तार पार्टी में कांग्रेस के दिग्गज नदारद दिख रहे हैं. लालू प्रसाद यादव की इफ्तार पार्टी में कांग्रेस के बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. आपको बता दें की कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार और बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु इस इफ्तार में नहीं पहुंचे, जिससे सियासी गलियारों में राजद-कांग्रेस के रिश्तों में तनाव की अटकलें तेज हो गई हैं.

कांग्रेस नेताओं की गैरमौजूदगी पर राजद की चुप्पी
राजद के ओर से इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब फिलहाल नहीं आया है. वहीं जब इसके बारे में विधायक भाई वीरेंद्र से सवाल किया गया तो उन्होंने इस सवाल को टालते हुए कहा कि आप यह सवाल  अब्दुल बारी सिद्दीकी से पूछें. वहीं, जब अब्दुल बारी सिद्दीकी से सवाल किया गया, तो उन्होंने इसे रमजान के अंतिम दिनों में कांग्रेस नेताओं की व्यस्तता बताकर टाल दिया. हालांकि, कांग्रेस की विधायक प्रतिमा दास इफ्तार में शामिल हुईं, लेकिन बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी से चर्चा तेज हो गई.

वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी रहे नदारद
इस सियासी ड्रामे के बीच एक और बड़ा नाम विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी भी इफ्तार में नहीं पहुंचे. इससे सियासी गलियारों में और हलचल मच गई. हालांकि, वीआईपी पार्टी की ओर से सफाई दी गई कि मुजफ्फरपुर में पहले से इफ्तार पार्टी आयोजित थी, इसलिए मुकेश सहनी वहां मौजूद रहे.

चिराग पासवान की इफ्तार में भी दिखी खास रणनीति
इधर, चिराग पासवान की इफ्तार पार्टी में भी मुस्लिम संगठनों की कम भागीदारी देखने को मिली, लेकिन बड़ी संख्या में आम लोग पहुंचे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं चिराग की इफ्तार में पहुंचे, लेकिन लालू यादव की इफ्तार में कांग्रेस के दिग्गजों की अनुपस्थिति की चर्चा सबसे ज्यादा होती रही.

क्या कांग्रेस बना रही नई रणनीति?
बिहार कांग्रेस का प्रभारी बनाए जाने के बाद से कृष्णा अल्लावरु और अन्य कांग्रेस नेताओं ने लालू यादव से मुलाकात नहीं की है. यहां तक कि कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार ने भी पदभार संभालने के बाद लालू से मिलने की जरूरत नहीं समझी. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस अपनी रणनीति बदल रही है? क्या यह राजद पर दबाव बनाने की कोशिश है, या फिर कांग्रेस खुद को अलग राह पर ले जाने की तैयारी कर रही है?